श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (महिला प्रकोष्ठ) ‘सम्बल’ जोधपुर

सम्बल में आपका स्वागत है - महिलाओं के जीवन को सरल, सशक्त और स्वाभीमानयुक्त बनाना

महिला जेल स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण सक्सेस स्टोरी !!

  • (प्रमिला) मैं जेल में आई तब से मानो मेरी जिन्दगी ठहर सी गई थी ऊट-पटांग सोच-सोच कर दिमाग खराब होता रहता था। खाली दिमाग शैतान का घर, कुछ भी न कर सकने का सोचकर अपना समय ऐसे ही बीता रही थी। इस संस्था ने जेल की महिलाओं के लिए सिलाई सेन्टर खोलकर हमारा जीवन संवार दिया। हमारे समय को बहुत उपयोगी बना दिया। आज हम सिलाई सीखकर स्वयं का कार्य भी कर सकते हैं। जब भी मैं जेल से बाहर आऊंगी। मैं इस संस्थान का कार्य जगह-जगह बताऊंगी और कहूँगी ये सम्बल संस्था समाज से ठुकराई हुए इन्सानों को अपना बनाती हैं, उनके जीवन में खुशहाली लाती है। इस संस्था का मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि जेल की कोठरी में भी मुझे नई ऊर्जा मिलेगी।

  • (शकुंतला) मैं हमेशा जेल में बस यही सोचती थी कि मेरा जीवन अब किस काम का, बस जीने की कोई चाहत ही नहीं थी। लेकिन सम्बल संस्था ने तो मेरी किस्मत ही बदल दी। जेल में सिलाई सेन्टर खोला और हमें पढ़ाई भी करवाई। हम महिलाओं को इस संस्था के माध्यम से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। मैं तो इस संस्था के बारे में यही कहना चाहूंगी कि आपने तो हमें अपने गले लगाकर काम एवं पढ़ाई सिखाकर हमारा जीवन सुधार दिया मेरी सोच ही बदल दी है। मैं सम्बल संस्था की पूरी टीम को धन्यवाद देती हूं।

  • (मंजू बाई किनर) मन्जूबाई जेल के जीवन से बहुत निराश व हताश रहने लगी और मन से बहुत परेशान भी। मुझे सम्बल संस्था द्वारा सिलाई सीखने का अवसर मिला और पढने लिखने का अवसर भी दिया गया मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने भी सभी कुछ बहुत मन लगाकर सीखा और अब मेरा जेल में बहुत अच्छा समय निकल रहा है। क्योंकि काम में व्यस्त रहने लगी। ये संस्था जेल की महिलाओं के लिए बहुत-बहुत अच्छा कार्य कर रही है। हमारे जीवन को सुधार रही है, मैं इस संस्था की बहुत आभारी हूँ। इस अन्धकारपूर्ण जीवन में आशा की नई किरण का संचार हुआ है।

  • (कमला) मेरा जेल मंे समय काटे न कट रहा था और ये ही सोचती थी कि अब जीवन में कुछ भी नहीं है। लेकिन सम्बल संस्था ने जेल में सिलाई सेन्टर खोलकर हम सबका जीवन सुधार दिया। जिन महिलाओं ने सिलाई सीखी वे जेल में ही काम करके महीने के 1500 रू तक कमा लेती हैं। मैं जब गांव जाऊंगी तब वहां जाकर सिलाई करूंगी अपना जीवन अच्छे से कार्य कर जीऊंगी और सभी को बताउंगी कि सम्बल संस्था ने जेल की महिलाओं के जीवन सुधारने के बारे में सोचकर और बहुत बड़ा कार्य किया। हम सबको सिलाई का प्रशिक्षण देकर। हमारे दुख दर्द की टीस को कम कर दिया। जीवन में एक नया विश्वास जगने लगा है। मैं इस संस्था को कभी भूल नहीं पाऊंगी।

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